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Tuesday, September 23, 2025

दुर्गापूजा पर पर्यावरण भारती ने किया पौधारोपण, दिया स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का संदेश

दुर्गापूजा पर पर्यावरण भारती ने किया पौधारोपण, दिया स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का संदेश

बरहट, जमुई दुर्गापूजा के शुभ अवसर पर मंगलवार को पर्यावरण भारती की ओर से पांड़ो बाजार, बरहट में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान कुल नौ पौधे लगाए गए, जिनमें आम के दो फलदार वृक्ष और मीठा नीम (कड़ी पत्ते) के सात औषधीय पौधे शामिल थे। पौधारोपण का नेतृत्व पर्यावरण प्रहरी राज कुमार बर्णवाल ने किया, जबकि इसमें सतीश कुमार गोलू ने सहयोग दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरण भारती के संस्थापक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक और अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली के सदस्य राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि शारदीय नवरात्र, जिसे दुर्गापूजा भी कहा जाता है, वास्तव में प्रकृति पूजन का पर्व है। उन्होंने बताया कि माँ दुर्गा सिंह पर सवार होती हैं, जो वन्यजीव संरक्षण का संदेश देता है। उनके हाथ में साँप होना इस बात का प्रतीक है कि सर्प जैसे जीवों का भी संरक्षण किया जाना चाहिए। साथ ही उनके अस्त्र-शस्त्र सुरक्षा की आवश्यकता का द्योतक हैं।

शाण्डिल्य ने कहा कि दुर्गापूजा में रोली, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप और पुष्प की आवश्यकता होती है। वहीं, कलश स्थापन में गंगाजल, आम के पत्ते, जौ और नारियल का प्रयोग किया जाता है। इसलिए दुर्गापूजा के इस पावन अवसर पर प्रत्येक परिवार को अपने घरों के आसपास आम, नारियल और फूलों के पौधे अवश्य लगाने चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से लाल गुड़हल (अरहुल) को माँ दुर्गा का प्रिय पुष्प बताया और इसे लगाने की अपील की।

इस अवसर पर उन्होंने संदेश दिया— "स्वदेशी अपनायेंगे, भारत को आत्मनिर्भर बनायेंगे।" शाण्डिल्य ने कहा कि स्वदेशी मंत्र से ही भारत विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बन सकेगा। उन्होंने लोगों से न केवल वृक्षारोपण करने बल्कि उनके संरक्षण का संकल्प लेने की भी अपील की।

पौधारोपण कार्यक्रम में स्थानीय लोगों की भी सक्रिय भागीदारी रही। इसमें राज कुमार बर्णवाल, सतीश कुमार गोलू, राम बिलास शाण्डिल्य, श्याम देव पंडित, सोनू शर्मा, रतन शर्मा, नवीन शर्मा और शिक्षक संजय मंडल समेत कई ग्रामीण मौजूद रहे।

ग्रामीणों ने पौधारोपण को दुर्गापूजा पर्व से जोड़ने की इस पहल को सराहनीय बताया। उनका कहना था कि इस तरह के प्रयास से न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा बल्कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की भी पुनः स्थापना होगी।

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