**लोक गायिका शारदा सिन्हा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार : छठ गीतों के साथ दी गई विदाई**
🔹पंचतत्व में विलीन हुईं शारदा सिन्हा।
🔹मुखाग्नि के बाद पैरों से लिपटकर रो पड़े बेटे अंशुमान।
🔹छठ के पहले दिन हुआ था निधन।
सिटी ब्यूरो रिपोर्ट : राजीव रंजन/राकेश कुमार
जमुई : पटना के गुलबी घाट पर बुधवार को लोक गायिका शारदा सिन्हा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। छठ महापर्व से पहचानी जाने वाली शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने उन्हें मुखाग्नि दी और उनके अंतिम सफर में छठी मईया के गीतों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की गई। घाट पर 'शारदा सिन्हा अमर रहे' और 'छठी मईया की जय' के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। शारदा सिन्हा ने छठ पर्व के गीतों से पूरे बिहार और देश में अपनी अलग पहचान बनाई थी, और उनके गीत हर छठ पूजा का अभिन्न हिस्सा माने जाते हैं।
छठ महापर्व के पहले दिन ली अंतिम सांस :
72 वर्षीय शारदा सिन्हा का दिल्ली एम्स में मंगलवार की रात निधन हो गया था। उनके निधन से कुछ समय पहले ही उन्होंने एम्स से अपना अंतिम छठ गीत 'दुखवा मिटाई छठी मईया' रिलीज़ किया था, जो उनके प्रशंसकों के दिलों में एक खास जगह रखता है। सुबह 9 बजे उनके पटना स्थित आवास राजेंद्र नगर से अंतिम यात्रा निकली, जिसमें बेटे अंशुमान ने मां की अर्थी को कंधा दिया। बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरसिया भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
पति के बाद उनकी भी अंतिम इच्छा गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार की थी :
शारदा सिन्हा के पति का 45 दिन पहले ही 22 सितंबर को निधन हुआ था और उनका अंतिम संस्कार भी गुलबी घाट पर ही किया गया था। शारदा सिन्हा की इच्छा थी कि उनके अंतिम संस्कार की क्रिया भी इसी घाट पर की जाए। इस मौके पर सीएम नीतीश कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके पटना स्थित आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।
एक युग का अंत, छठ पर्व और लोकगीतों में उनकी अमर छवि :
छठ पर्व के पहले दिन शारदा सिन्हा के निधन से लोक गीतों के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया। उनकी छठ गीतों की गूंज और छठी मइया के प्रति उनकी श्रद्धा सदा स्मरणीय रहेगी। गुरुवार शाम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उनके पटना आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि देंगे।
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