साहस, संघर्ष और सफलता की मिसाल बनीं मुजफ्फरनगर की तनु रानी – ग्रेपलिंग वर्ल्ड कप में भारत को दिलाए दो पदक - City Channel

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Tuesday, June 17, 2025

साहस, संघर्ष और सफलता की मिसाल बनीं मुजफ्फरनगर की तनु रानी – ग्रेपलिंग वर्ल्ड कप में भारत को दिलाए दो पदक

साहस, संघर्ष और सफलता की मिसाल बनीं मुजफ्फरनगर की तनु रानी – ग्रेपलिंग वर्ल्ड कप में भारत को दिलाए दो पदक

सिटी स्टेट ब्यूरो : राजीव शर्मा/अशोक कुमार

खतौली/मुजफ्फरनगर : मुजफ्फरनगर जिले की एक साधारण लेकिन हौसलों से भरी बेटी तनु रानी ने अपनी मेहनत, संघर्ष और जुनून के बल पर न केवल भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन किया, बल्कि देश की बेटियों के लिए प्रेरणा की मिसाल भी बन गई हैं। मूल रूप से खतौली क्षेत्र के ग्राम भैंसी निवासी तनु रानी ने हाल ही में कजाकिस्तान के अस्ताना में आयोजित ग्रेपलिंग वर्ल्ड कप में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है।

गरीब परिवार की बेटी, लेकिन बड़े सपने :

तनु एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता चेतन कुमार रिक्शा चलाकर, पशुपालन और मेहनत-मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार का भरण-पोषण करते रहे, जबकि उनकी मां बबली देवी एक गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद इस परिवार ने कभी बेटी के सपनों को छोटा नहीं माना। तनु ने पॉलिटेक्निक, बी.ए. और फिजिकल एजुकेशन में डिप्लोमा कर पढ़ाई जारी रखी और साथ ही कुश्ती में भी अपने जुनून को जिंदा रखा।

संघर्ष की राह में मां बनीं संबल :

तनु ने 2015 में अपने जीजा सोनू के मार्गदर्शन में मुजफ्फरनगर के अर्जुन अखाड़ा में कुश्ती का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बीच में ही प्रशिक्षण छोड़ना पड़ा। तब उनकी मां ने मेहनत-मजदूरी कर तनु को दोबारा अखाड़े तक पहुंचाया। मां-बेटी की यह जुगलबंदी जल्द ही रंग लाई और तनु ने 2024 में दिल्ली में आयोजित स्टेट रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। फिर 2025 में शिमला में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में भी उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया।

वर्ल्ड कप में खेलने के लिए गिरवी रखने पड़े जेवर :

इन उपलब्धियों के बाद उनका चयन जून 2025 में कजाकिस्तान में आयोजित ग्रेपलिंग वर्ल्ड कप के लिए हुआ। लेकिन यहां भी आर्थिक तंगी आड़े आई। वीजा और यात्रा के लिए पैसे नहीं थे, तब उनकी मां ने अपने गहने गिरवी रख दिए ताकि बेटी का सपना अधूरा न रह जाए। यह बलिदान एक मां के अटूट विश्वास और त्याग की गाथा है।

70 किलो से सीधे 90 किलो वर्ग में मुकाबला, फिर भी दिलाया भारत को सम्मान :

अस्ताना पहुंचने पर तनु को जानकारी मिली कि 70 किलो भारवर्ग की श्रेणी मान्य नहीं है, ऐसे में उन्हें मजबूरी में 90 किलो वर्ग में उतरना पड़ा, जो उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन तनु ने हार नहीं मानी। आत्मविश्वास और दमदार प्रदर्शन के बल पर उन्होंने मुकाबले में हिस्सा लिया और भारत के लिए एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीत लाईं।

लौटते ही हुआ भव्य स्वागत, क्षेत्र में खुशी की लहर :

तनु के भारत लौटने पर खतौली और भैंसी गांव में उत्सव का माहौल बन गया। ग्राम प्रधान अमित कुमार, सुधीर वाल्मीकि, भाजपा नेता राजू अहलावत, जिला अध्यक्ष सुधीर सैनी, डॉक्टर अंकुर गुप्ता, विशाल राठौर फौजी सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। क्षेत्र के लोगों ने इसे अपने लिए गर्व का क्षण बताया।

रोल मॉडल हैं मिल्खा सिंह, आगे भी बड़े लक्ष्य :

तनु रानी ने बताया कि वे महान धावक मिल्खा सिंह को अपना आदर्श मानती हैं और उन्हीं की तरह देश के लिए बड़ी उपलब्धियां हासिल करना चाहती हैं। उन्होंने यह भी साझा किया कि उन्हें अब भारत का ब्लेज़र मिल चुका है और वे अपने माता-पिता और बहन के लिए भविष्य में और भी बड़ा करना चाहती हैं।

यह सिर्फ एक पदक जीतने की कहानी नहीं, बल्कि नारी शक्ति, मातृत्व, संघर्ष और आत्मविश्वास की मिसाल है।

तनु रानी की यह विजयगाथा उन लाखों बेटियों और उनके परिवारों को प्रेरणा देती है जो सीमित संसाधनों में भी अनंत संभावनाओं को साकार करना चाहते हैं।

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