विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर डीएम ने जागरूकता वाहन को किया रवाना
🔹बालश्रम अपराध है इसे रोकना हम सभी का दायित्व : श्री नवीन
सिटी ब्यूरो रिपोर्ट : राजीव रंजन/राकेश कुमार
जमुई : दिन गुरुवार 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर जमुई जिला प्रशासन द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बाल श्रम के विरुद्ध जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आज सुबह 10:30 बजे समाहरणालय परिसर से “बाल श्रम निषेध रथ” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री नवीन (आईएएस) के साथ-साथ अपर समाहर्ता, सिविल सर्जन, वरीय कोषागार पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्ता, श्रम अधीक्षक एवं अन्य जिला स्तरीय अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। रथ को रवाना करने से पूर्व समाहरणालय परिसर में बाल श्रम निषेध शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित किया गया।
इस वर्ष की अंतरराष्ट्रीय थीम है—
“प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम किया जाना बाकी है – आइए प्रयासों में तेजी लाएं!”
(Progress is clear, but there’s more to do: let’s speed up efforts.)
बता दें कि मुख्य सचिव के निर्देशानुसार, जिले के सभी विभागों में पदाधिकारियों व कर्मियों द्वारा बाल श्रम निषेध शपथ-पत्र भरकर श्रम विभाग को प्रेषित किया गया। पुलिस विभाग की ओर से भी पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) एवं पुलिस उपाधीक्षक (यातायात) समेत बल के सदस्यों ने शपथ ली। इसी कड़ी में अनुमंडल एवं प्रखंड कार्यालयों में भी शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किए गए।
इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री नवीन ने एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया। बाल श्रम निषेध दिवस पर जिले के सभी विद्यालयों में पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इनमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में जिलाधिकारी ने कहा—
"बच्चे राष्ट्र निर्माण की बुनियाद हैं। उनकी शिक्षा और विकास के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। जिला प्रशासन बाल मजदूरी के विरुद्ध कड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
उन्होंने यह भी बताया कि श्रम अधीक्षक को बाल श्रम रोकने के लिए धावा दल के संचालन हेतु निर्देशित किया गया है। साथ ही, नियोजकों को चेतावनी दी गई है कि यदि किसी भी प्रतिष्ठान या कार्यस्थल पर बाल श्रमिक पाए गए, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
श्रम अधीक्षक रतीश कुमार ने जानकारी दी कि
"बाल श्रम उन्मूलन के लिए बिहार सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं। सघन छापेमारी अभियान के माध्यम से नियोजकों की पहचान की जा रही है और बाल श्रमिकों को मुक्त कर पुनर्वासित किया जा रहा है।"
प्रमुख प्रावधान और योजनाएं:
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सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार
- एमसी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार मामले में, किसी भी मुक्त बाल श्रमिक के बदले नियोजक को ₹20,000 जिला बाल श्रमिक पुनर्वास कोष में जमा करना अनिवार्य है।
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तत्काल सहायता
- मुक्त कराए गए योग्य बाल श्रमिकों को ₹3,000 की त्वरित आर्थिक सहायता दी जाती है।
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मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता
- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पुनर्वासन हेतु ₹25,000 का अनुदान दिया जाता है।
- अब 14 से 18 वर्ष तक के किशोरों को भी, यदि वे चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम में पंजीकृत हैं, उन्हें भी ₹25,000 का अनुदान मिलेगा।
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छापेमारी एवं प्राथमिकी
- श्रम विभाग द्वारा लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है।
- बाल श्रमिकों को नियोजित करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाती है।
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पुनर्वास के अन्य उपाय
- District Task Force के माध्यम से मुक्त बच्चों को शिक्षा, आवास एवं अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
- बाल कल्याण समिति द्वारा पुनर्वास की निगरानी और सहायता दी जाती है।
अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं:
- गर्मी से बचाव के निर्देश: सभी नियोजकों से आग्रह किया गया है कि वे मजदूरों से दोपहर 12 से 3 बजे तक काम न लें और पेयजल की समुचित व्यवस्था करें।
- प्रवासी मजदूर रजिस्ट्रेशन: प्रवासी ऐप के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है।
- श्रम कानून जागरूकता: सभी श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों द्वारा श्रमिक समुदाय को श्रम कानूनों और उनके अधिकारों की जानकारी दी जा रही है।
जमुई जिले में यह कार्यक्रम न केवल बाल श्रम के प्रति सख्ती का संदेश देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन, सामाजिक संस्थाएं और नागरिक मिलकर एक बाल श्रम मुक्त समाज की ओर अग्रसर हैं।


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