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Thursday, June 19, 2025

“साइकिल यात्रा एक विचार – समाज और प्रकृति के बीच पुल”

सम्पादकीय : 

 “साइकिल यात्रा एक विचार – समाज और प्रकृति के बीच पुल”

संपादकीय की चौथी कड़ी....

सिटी ब्यूरो रिपोर्ट : राजीव रंजन

आज के युग में जहाँ तकनीक और भागदौड़ की दुनिया ने इंसान को अपनी जड़ों से काट दिया है, वहीं "साइकिल यात्रा एक विचार" जैसे जन-आंदोलन हमें याद दिलाते हैं कि परिवर्तन का रास्ता सरलता, निरंतरता और संकल्प से होकर जाता है। जमुई की धरती पर शुरू हुई यह पहल आज केवल एक साइकिल यात्रा नहीं, बल्कि पर्यावरण जागरूकता, सामाजिक चेतना और लोकसंपर्क का एक जीवंत उदाहरण बन चुकी है।

जब 2016 में श्री विवेक कुमार ने साइकिल यात्रा की नींव रखी थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह छोटी-सी शुरुआत आने वाले वर्षों में 490 से अधिक रविवारों, 645 से अधिक गांवों और 30,000 से अधिक पौधारोपण की कहानी बन जाएगी। यह सिर्फ आँकड़े नहीं हैं, बल्कि यह उस आत्मविश्वास और धैर्य की गाथा है जो बिना किसी शोरशराबे के समाज की नींव को मजबूत करने में लगा है।

इस यात्रा का सबसे विशेष पहलू इसकी ‘निरंतरता’ है। हर रविवार – बिना रुके, बिना थके – साइकिल पर निकलना सिर्फ शारीरिक श्रम नहीं, यह मन और मस्तिष्क की साधना है। यह यात्रा एक संदेश देती है कि बदलाव के लिए ना तो करोड़ों की योजना चाहिए, ना ही राजनीतिक मंच — बस एक विचार चाहिए और उस विचार के पीछे ईमानदारी से खड़ा एक मनुष्य।

आज जब देश के अनेक हिस्से जलवायु संकट, सामाजिक अलगाव, और युवाओं की दिशाहीनता से जूझ रहे हैं, तब "साइकिल यात्रा एक विचार" जैसे प्रयास एक आदर्श मॉडल के रूप में सामने आते हैं। इस यात्रा ने यह दिखाया है कि साइकिल की सादगी में भी बदलाव की शक्ति छिपी होती है – एक साइकिल, एक पौधा, और एक विचार से।

समाज को चाहिए कि वह ऐसे प्रयासों का न केवल समर्थन करे, बल्कि इससे प्रेरणा भी ले। प्रशासन, शिक्षा संस्थान और आम जनता यदि इस तरह के प्रयासों से जुड़ें, तो न केवल पर्यावरण को संजीवनी मिलेगी, बल्कि युवाओं को एक नई दिशा, समाज को एक नई ऊर्जा और राष्ट्र को एक नया विश्वास मिलेगा।

इस संपादकीय के माध्यम से हम "साइकिल यात्रा एक विचार, जमुई" और इसके समर्पित साथियों को सलाम करते हैं – जिन्होंने यह साबित किया कि विचारों की कोई उम्र नहीं होती, कोई सीमा नहीं होती — यदि वह विचार जनहित में हो और धरती के लिए हो।

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