चकाई में आदिवासियों ने एक दिवसीय धरना देकर उठाई जमीन के पर्चा की मांग, चेताया— नहीं मिला हक तो होगा 'हूल जोहार' - City Channel

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Friday, June 20, 2025

चकाई में आदिवासियों ने एक दिवसीय धरना देकर उठाई जमीन के पर्चा की मांग, चेताया— नहीं मिला हक तो होगा 'हूल जोहार'

चकाई में आदिवासियों ने एक दिवसीय धरना देकर उठाई जमीन के पर्चा की मांग, चेताया-@नहीं मिला हक तो होगा 'हूल जोहार'

चकाई : चकाई प्रखंड मुख्यालय के समक्ष शुक्रवार को आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले एक दिवसीय धरना आयोजित किया गया। धरना का नेतृत्व मोर्चा के जिला संयोजक कल्लू मरांडी ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए।

धरना का प्रमुख मुद्दा था—वनाधिकार कानून के तहत 335 आदिवासियों को लंबित जमीन का पर्चा प्रदान करना तथा प्रखंड मुख्यालय में शहीद सिद्धो-कान्हो की प्रतिमा की स्थापना।

भाकपा (माले) ने उठाई आवाज :
धरना को संबोधित करते हुए भाकपा माले के जिला सचिव शंभू शरण सिंह ने कहा "आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं। वे आज भी अपनी आजीविका के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं। सरकार और पूंजीपतियों के गठजोड़ से उनके जीवन पर संकट बढ़ा है। माले इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी।"

प्रखंड सचिव मनोज पांडेय ने कहा कि वनाधिकार कानून बने दो दशक हो गए, लेकिन अब तक हजारों परिवारों को पर्चा नहीं मिला।
बाबू साहब सिंह, माले के युवा नेता ने बताया कि "बोगी बरमोरिया, डढ़वा, चौपला, बामधह सहित दर्जनों गांवों के 335 आवेदन पिछले 18 महीनों से लंबित हैं। जिला कल्याण विभाग और प्रखंड कार्यालय की निष्क्रियता से लोग परेशान हैं।"

वक्ताओं ने चेताया - नहीं मिला अधिकार तो होगा 'हूल जोहार':
कार्यक्रम में संजय राय और किसुन मरांडी ने कहा कि अगर सरकार वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को उनका हक नहीं देती, तो 30 जून को 'हूल दिवस' पर बड़ी संख्या में लोग जमुई में प्रदर्शन करेंगे।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि "शासकीय अधिकारी वनाधिकार कानून से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शासन-प्रशासन आदिवासियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील नहीं है।"

ज्ञापन सौंपा, बीडीओ ने दिया कार्रवाई का आश्वासन :
धरना के अंत में एक मांगपत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा गया, जिसमें सभी लंबित 335 आवेदनों के निष्पादन की मांग की गई। बीडीओ ने एक महीने के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया। 

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख लोग:

मोहम्मद सलीम अंसारी, बासुदेव हांसदा, राजकिशोर किस्कू, खुबलाल राणा, सीताराम यादव, मतला मरांडी, एलियास हेम्ब्रम, माइकल हांसदा, बाजो ठाकुर, प्रदीप राय, प्रदीप मंडल, धनेश्वर यादव, राहुल यादव सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।

वनाधिकार कानून (2006) के अंतर्गत वन भूमि पर निवास कर रहे आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया देशभर में चल रही है। लेकिन कई जिलों में यह अब भी फाइलों और वादों तक सीमित है।

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