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Friday, May 30, 2025

बरनार नदी घाट पर रात्रि में ट्रैक्टरों की गर्जना से ग्रामीणों की नींद उड़ी, अवैध बालू धुलाई पर छात्रों ने भी जताई नाराज़गी

बरनार नदी घाट पर रात्रि में ट्रैक्टरों की गर्जना से ग्रामीणों की नींद उड़ी, अवैध बालू धुलाई पर छात्रों ने भी जताई नाराज़गी

सिटी संवाददाता : पंकज बरनवाल

सोनो/जमुई : सोनो-बटिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम कुसैया और बिंजी स्थित बरनार नदी घाट पर रात के अंधेरे में अवैध बालू धुलाई का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। ट्रैक्टरों की लगातार आवाज और गतिविधियों के कारण जहां एक ओर ग्रामीणों की नींद हराम हो रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

ग्रामीणों के अनुसार यह अवैध कार्य पुलिस और प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही। स्थानीय लोगों ने नाराज़गी जताते हुए बताया कि रात भर ट्रैक्टरों की आवाज़ से नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे मानसिक तनाव और शारीरिक थकावट बढ़ती है।

ग्रामीण बोले – नींद की कमी से बिगड़ रहा है स्वास्थ्य :

गांव के वरिष्ठ ग्रामीण जोधन मांझी, कालेश्वर यादव और अरविंद सिंह ने बताया कि रात को जब सबको आराम की जरूरत होती है, तब घाट पर ट्रैक्टरों का शोर वातावरण को अशांत कर देता है। उन्होंने कहा कि नींद पूरी न हो पाने से शरीर और दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, जिससे बुढ़ापे में बीमारियाँ बढ़ने की आशंका बनी हुई है

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि बार-बार शिकायतों के बाद भी प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। ऐसा प्रतीत होता है कि बालू माफियाओं को कहीं न कहीं राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।

छात्रों ने जताई नाराज़गी, कहा – “पढ़ाई हो रही बर्बाद” : गांव के छात्र-छात्राओं ने भी इस अवैध गतिविधि पर कड़ी आपत्ति जताई है। अरवियन अंसारी, चंद्र सिंह, और राजा कुमार जैसे छात्रों ने बताया कि दिनभर विद्यालय में पढ़ाई कर वे रात को जब घर लौटते हैं, तो शिक्षकों द्वारा दिए गए होमवर्क को शांति से पूरा नहीं कर पाते।

उन्होंने कहा कि बरनार नदी से बालू की रात्रि धुलाई और ट्रैक्टरों की तेज़ आवाज़ पढ़ाई में बड़ी बाधा बन चुकी है। छात्र अरवियन अंसारी ने बताया –

“हम पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाते, और आवाज के कारण समय पर सो भी नहीं पाते। इससे हमारी नींद पूरी नहीं होती और सुबह उठने में भी परेशानी होती है।”

छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा और प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो वे गांव के अन्य लोगों के साथ मिलकर जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

प्रशासन की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल : ग्रामीणों और छात्रों की यह संयुक्त पीड़ा अब एक सामूहिक चिंता का विषय बन गई है। लोगों का कहना है कि बरनार घाट पर रात्रि में चल रही अवैध बालू की धुलाई पर यदि शीघ्र रोक नहीं लगाई गई, तो गांव में सामाजिक अशांति फैल सकती है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पुलिस प्रशासन की चुप्पी अब संदेह के घेरे में आ गई है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि – रात्रिकालीन ट्रैक्टर परिचालन पर पूर्ण रोक लगे, घाट पर अवैध बालू धुलाई बंद हो, दोषी माफियाओं पर कानूनी कार्रवाई हो और छात्रों के अध्ययन व ग्रामीणों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए।

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