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Monday, April 28, 2025

धर्मगुरुओं ने संभाली बाल विवाह की रोकथाम की कमान, अक्षय तृतीया पर जिले में बाल विवाह नहीं होने देने का संकल्प

धर्मगुरुओं ने संभाली बाल विवाह की रोकथाम की कमान, अक्षय तृतीया पर जिले में बाल विवाह नहीं होने देने का संकल्प


सिटी ब्यूरो रिपोर्ट : राजीव रंजन/राकेश कुमार 

जमुई : जमुई जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत संगठन तटवासी समाज न्यास द्वारा धर्मगुरुओं के बीच चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को बड़ी सफलता मिली है। संगठन ने अक्षय तृतीया और विवाह सीजन को देखते हुए विशेष पहल करते हुए सभी धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों, मौलवियों और पादरियों के बीच बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाई।

संगठन के निदेशक कन्हैया कुमार सिंह ने बताया कि धर्मगुरुओं से मिला समर्थन अभिभूत करने वाला है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा।


उन्होंने कहा कि कोई भी बाल विवाह तब तक संपन्न नहीं हो सकता जब तक कोई पंडित, मौलवी या पादरी विवाह नहीं कराता। इसलिए धर्मगुरुओं को जागरूक कर अभियान से जोड़ने का निर्णय लिया गया, और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। जिले के मंदिरों और मस्जिदों के बाहर अब बाल विवाह निषेध के बोर्ड लगाए गए हैं, जिन पर स्पष्ट लिखा है कि "यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है।"

गौरतलब है कि तटवासी समाज न्यास, देशभर में बाल विवाह के खिलाफ कार्यरत नागरिक संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' (JRC) के सहयोगी संगठन के रूप में कार्य कर रहा है। इस नेटवर्क ने अब तक दो लाख से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं और पाँच करोड़ से अधिक लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है।

जिले में तटवासी समाज न्यास ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से अब तक 538 बाल विवाह रोकने में सफलता पाई है। संगठन 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है और 'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन' किताब में सुझाए गए समग्र रणनीति पर अमल कर रहा है।

कन्हैया कुमार सिंह ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 के तहत बाल विवाह कराना, उसमें किसी भी रूप में सहायता करना, सेवाएं देना या आयोजन करना दंडनीय अपराध है। इसमें बाराती, लड़की के पक्ष के लोग, कैटरर, डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरिज हॉल मालिक और विवाह कराने वाले पंडित व मौलवी भी दोषी माने जा सकते हैं और उन्हें दो वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह को रोकने के लिए धर्मगुरुओं का समर्थन निर्णायक साबित होगा। यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह से साफ इनकार कर दे, तो देश से इस सामाजिक अपराध का सफाया संभव है।

संगठन ने कहा कि धर्मगुरुओं के इस उत्साहवर्धक सहयोग से "बाल विवाह मुक्त जमुई" का लक्ष्य शीघ्र ही हासिल किया जा सकेगा।

1 comment:

  1. सराहनीय प्रयास है। बाल विवाह कानून के दायरे में अपराध तो है वहीं समाज को रास्ता दिखाने वाले धर्म गुरुओं और युवाओं को इसे रोकने हेतु आगे आना सकारात्मक पहल है। आभार।

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