बच्चों को AES और JE रोग से बचाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क, अपर मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिए निर्देश
सिटी संवाददाता : प्रो० रामजीवन साहू
जमुई : बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्षता में आज अपराह्न 4:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक अहम बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य AES (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और JE (जापानी इंसेफेलाइटिस) जैसी बच्चों को प्रभावित करने वाली गंभीर बीमारियों के संभावित खतरों से निपटने की तैयारियों की समीक्षा करना था।
इस वर्चुअल बैठक में जमुई जिले से जिला पदाधिकारी श्रीमती अभिलाषा शर्मा (भा.प्र.से.), सिविल सर्जन जमुई सहित कई अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने अपर मुख्य सचिव द्वारा दिए गए निर्देशों को आत्मसात किया और अपनी प्रतिबद्धता जताई।
बैठक की मुख्य बातें:
- AES और JE से बचाव हेतु व्यापक सतर्कता की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चौकस और तैयार रहने का निर्देश।
- आपातकालीन स्थिति में त्वरित कार्रवाई हेतु तैयार रहने की हिदायत।
- रोग नियंत्रण उपायों की मजबूती पर ज़ोर, विशेषकर गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए।
- नगर निकायों और पंचायतों को साफ-सफाई व जलजमाव की समस्या पर विशेष ध्यान देने का निर्देश।
जमुई जिले में विशेष निर्देश:
- जिले के सभी सदर अस्पताल और पीएचसी में AES व JE मरीजों के लिए आरक्षित बेड सुनिश्चित किए जाएंगे।
- सभी स्वास्थ्य केंद्रों को पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध कराने का आदेश।
- नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा के जरिए गंभीर मरीजों को उच्च चिकित्सा संस्थान में रेफर करने की सुविधा।
रोग की पहचान और सावधानियाँ:
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि यह रोग विशेष रूप से 1 से 15 वर्ष तक के बच्चों को प्रभावित करता है। इसके पीछे के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- कुपोषण,
- रात को भूखे पेट सोना,
- तेज धूप में खेलना,
- कच्ची व अधपकी लीची का सेवन।
लक्षणों में शामिल हैं:
- बेहोशी,
- शरीर में झटके (चमकी),
- हाथ-पांव में थरथराहट,
- मानसिक असंतुलन।
उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर इस तरह के कोई भी लक्षण बच्चों में नजर आएं तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें और समय पर जांच व इलाज कराएं।
सामूहिक प्रयास की जरूरत:
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि AES और JE जैसी बीमारियों से लड़ना केवल सरकार या स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है। इस दिशा में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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