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Tuesday, December 3, 2024

भागलपुर जिला बार एसोसिएशन में अधिवक्ता दिवस पर भव्य समारोह का आयोजन

भागलपुर जिला बार एसोसिएशन में अधिवक्ता दिवस पर भव्य समारोह का आयोजन 


भागलपुर : भागलपुर जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) परिसर में अधिवक्ता दिवस के अवसर पर भव्य और गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिले के कई वरिष्ठ अधिवक्ता, न्यायाधीश और कानून के छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए। यह आयोजन भारत के पहले राष्ट्रपति और एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता डॉ. राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके आदर्शों का स्मरण करने के उद्देश्य से किया गया।


कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं :

1. दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण:

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे उपस्थित न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने मिलकर संपन्न किया। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

2. डॉ. राजेंद्र प्रसाद के योगदान पर चर्चा:

वक्ताओं ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जीवन और अधिवक्ता पेशे में उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा की।

उनके न्याय और सत्य के प्रति समर्पण की प्रशंसा की गई। वक्ताओं ने अधिवक्ता पेशे में नैतिकता, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने की प्रेरणा देने पर जोर दिया।


3. अधिवक्ता समुदाय की भागीदारी:

अधिवक्ता दिवस के इस कार्यक्रम में जिला बार एसोसिएशन के सदस्य, वरिष्ठ वकील और कानून के छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए।

उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदर्शों को अपनाने की शपथ ली। कार्यक्रम में युवा अधिवक्ताओं को भी प्रोत्साहित किया गया, ताकि वे अपने पेशे में नैतिकता और ईमानदारी को प्राथमिकता दें।

4. प्रेरणादायक उद्बोधन:

कार्यक्रम में उपस्थित न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के योगदान और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।

वक्ताओं ने अधिवक्ताओं को सलाह दी कि वे अपने पेशे में जनता की सेवा और न्याय की रक्षा के मूल सिद्धांतों का पालन करें।


यह भी बताया गया कि कैसे अधिवक्ताओं की भूमिका लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है।


कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व:

इस आयोजन का उद्देश्य अधिवक्ता समुदाय को डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदर्शों से प्रेरणा लेना और अधिवक्ता पेशे में नैतिकता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना था।

अधिवक्ता दिवस का यह आयोजन न केवल डॉ. राजेंद्र प्रसाद की स्मृति को जीवंत बनाए रखने का प्रयास था, बल्कि समाज में न्याय और सत्य की स्थापना के लिए अधिवक्ताओं की भूमिका को भी रेखांकित करता है।

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