ड्रेस कोड में कर सकेंगे पैरवी : देश की निचली अदालतों में वकीलों को मिली गर्मी में राहत, नहीं पहनना होगा काला कोट
जमुई : देश की अधीनस्थ अदालतों के वकीलों को अब गर्मी के मौसम में काले कोट की वजह से परेशान नहीं होना पड़ेगा। दरअसल, 15 अप्रैल से 15 जुलाई तक इन्हें काला कोट पहनने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। इस दौरान वे सफेद शर्ट, काली-सफेद धारी या ग्रे कलर की पेंट और एडवोकेट बैंउ पहनकर कोर्ट में पैरवी कर सकेंगे।
दरअसल, पूर्व में इस सिलसिले में वकीलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नियम में बदलाव की मांग को लेकर कई अनुरोध-पत्र मिले थे। जिन्हें गंभीरता से लिया गया और यह निर्णय लिया गया।
वहीं जमुई की निचली अदालतों में भी वकीलों को गर्मी में राहत को लेकर यह जानकारी जिला विधिज्ञ संघ के महासचिव अमित कुमार ने देते हुए कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सिंह ने स्टेट बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्राविधान के तहत यह निर्णय लिया है तथा जिला विधिज्ञ संघ के खास अनुरोध पर इस आशय की स्वीकृति प्रदान कर दी है।
किसे मिली छूट, किसे नहीं :
इसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के वकीलों को छोड़कर जिला अदालत सहित अन्य अदालतों के वकीलों को ग्रीष्मकाल में काले कोट की अनिवार्यता से छूट दी गई है।
गर्मियों में काला कोट व गाउन न पहनने की छूट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नियम में बदलाव की मांग :
मिलनी चाहिए छूट :
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शैलेंद्र मनी त्रिपाठी ने कहा है कि परंपरागत ड्रेस में छूट दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि देश भर के राज्यों में स्थित बार काउंसिल को निर्देश दिया जाए कि वह बताएं कि उनके राज्य में गर्मी कब होती है ताकि उन महीनों में काले कोट और गाउन से छूट दी जा सके। याचिकाकर्ता ने कहा कि काला रंग गर्मी को सोखता है और इस रंग के कपड़ों के कारण वकीलों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह सेफ वर्किंग कंडिशन में काम करने के अधिकार का हनन है।
भारतीय एडवोकेट ऐक्ट क्या कहता है :
सीनियर एडवोकेट के. के. मनन के अनुसार भारत में एडवोकेट ऐक्ट 1961 में बनाया गया। इसके तहत यह नियम तय किया गया है कि भारत में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और निचली अदालत के साथ-साथ ट्रिब्यूनल में वकीलों के लिए ड्रेस तय रहेगा। इसके तहत यह नियम तय किया गया है कि जो पुरुष एडवोकेट है वह काले बटन वाले काले कोट, ब्लैक शेरवानी और सफेद बैंड पहनेंगे इसके साथ ही ब्लैक या सफेद पेंट और सफेद शर्ट पहनना अनिवार्य होगा। वहीं, महिला वकीलों को सफेद और काली साड़ी, काले फुल या हाफ स्लीव ब्लाउज, लंबी सफेद और काली स्कर्ट पहनना अनिवार्य होगा।
इंग्लैंड से हुई थी शुरुआत ड्रेस कोड की :
बताते चलें कि वकीलों के ड्रेस की शुरुआत इंग्लैंड में हुई और वहीं वकीलों का ड्रेस कोड तय किया गया था जिसे भारत में भी अपनाया गया है। 1327 ईसवी में एडवर्ड तृतीय के कार्यकाल में वकालत की शुरुआत हुई थी और तभी यह तय किया गया था कि जजों का ड्रेस कैसा होना चाहिए, तब रॉयल कोर्ट में जजों की पोशाक तय हुई थी। इंग्लैंड में 1650 के आसपास जजों द्वारा विग पहने गए और गाउन की परंपरा शुरू हो गई। इसके बाद ब्रिटिश राज घराने द्वारा 1865 में ब्लैक कोट पहनने का आदेश दिया गया और फिर अदालतों में ब्लैक कोट पहनने की परंपरा शुरू हो गई।
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