जमुई में चैंबर ऑफ कॉमर्स चुनाव संपन्न, सुनील बरनवाल अध्यक्ष व नितेश केसरी सचिव चुने गए
जमुई : स्थानीय व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन चैंबर ऑफ कॉमर्स का चुनाव गुरुवार को देर शाम संपन्न हो गया। महावीर वाटिका में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान प्रक्रिया चली। कुल 1754 पंजीकृत मतदाताओं में से 1260 दुकानदारों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान के बाद गिनती पूरी हुई और परिणाम देर शाम घोषित किए गए।
चुनाव परिणाम के अनुसार, अध्यक्ष पद पर सुनील बरनवाल ने 750 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उनके प्रतिद्वंद्वी राजेश कुमार वर्मा को करारी हार का सामना करना पड़ा। उपाध्यक्ष पद पर बेहद रोमांचक मुकाबले में बंटी साह ने 13 मतों के मामूली अंतर से विजय प्राप्त की। सचिव पद पर नीतेश केसरी ने 954 मतों से बड़ी जीत दर्ज की। वहीं, सह-सचिव पद पर भी बंटी साह 245 वोटों के अंतर से विजयी हुए। कोषाध्यक्ष पद पर केवल एक ही प्रत्याशी के नामांकन होने से उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया।
इस बार चैंबर चुनाव में कई दिलचस्प मुकाबले हुए। सचिव पद पर नीतेश केसरी और पूजा कुमारी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली, जबकि उपाध्यक्ष पद पर निवास कुमार वर्मा, अवधेश सिंह और मनीष कुमार उर्फ घंटी साव मैदान में थे।
गौरतलब है कि 1988 में स्थापित चैंबर ऑफ कॉमर्स स्थानीय व्यापारियों के हितों की रक्षा करता आ रहा है। लेकिन इस बार का चुनाव संगठन के भीतर बढ़ते मतभेदों और आंतरिक खींचतान के बीच आयोजित हुआ। मार्गदर्शक कमेटी और वर्तमान कार्यकारिणी के बीच लंबे समय से चले आ रहे मतभेद ने कई व्यापारियों को अलग संगठन बनाने की ओर प्रेरित किया। बताया जा रहा है कि इस नए संगठन की सदस्यता ली जा रही है और जल्द ही उसका भी चुनाव कराया जाएगा।
हालांकि, दुकानदारों का एक वर्ग इस नए संगठन से भी संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि संगठन के भीतर दो गुटों की स्पष्ट खींचतान है और आपसी समन्वय की भारी कमी दिखाई देती है। कई व्यापारियों का यह भी मानना है कि इस बार चैंबर चुनाव में पहली बार राजनीतिक हस्तक्षेप खुले तौर पर देखने को मिला, जिससे व्यापारी समाज दो भागों में बंट गया।
व्यापारियों का कहना है कि इस आपसी खींचतान का सीधा असर बाजार की स्थिति पर पड़ेगा और अंततः नुकसान दुकानदारों को ही झेलना होगा। हालांकि चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ और किसी बड़ी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
चुनाव परिणाम आने के बाद विजयी उम्मीदवारों के समर्थकों में उत्साह देखने को मिला। वहीं, हारने वाले उम्मीदवारों ने संगठन की मजबूती और व्यापारियों के हित में मिलकर काम करने की बात कही। लेकिन बढ़ती गुटबाजी और आंतरिक कलह को देखते हुए यह साफ है कि आने वाले समय में जमुई का व्यापारिक वातावरण और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
No comments:
Post a Comment