विशाखापट्टनम में भव्य राष्ट्रीय समारोह, प्रधानमंत्री मोदी ने 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर देशवासियों को किया संबोधित
“योग सभी का है, सभी के लिए है – यह विश्व को जोड़ने का माध्यम बन चुका है”
विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश ; 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक भव्य राष्ट्रीय समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व करते हुए देश और दुनिया को योग दिवस की शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “आज 11वीं बार पूरा विश्व एक साथ 21 जून को योग कर रहा है। यह दृश्य अपने आप में एकता, संतुलन और समर्पण का प्रतीक है। योग ने अब केवल भारत ही नहीं, पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य किया है।”
वैश्विक मंच पर योग की पहुंच :
प्रधानमंत्री ने बताया कि आज योग की पहुंच जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक है। उन्होंने कहा कि “अंतरिक्ष यात्री वहां योग कर रहे हैं, दिव्यांगजन योगशास्त्र को पढ़ और समझ रहे हैं, और गांव-गांव के युवा योग ओलंपियाड जैसे आयोजनों में भाग ले रहे हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि योग ने भाषा, भौगोलिकता और परिस्थिति की सीमाएं लांघ दी हैं।”
उन्होंने 2014 की उस ऐतिहासिक पहल को याद किया जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। उन्होंने कहा, "कुछ ही महीनों में 175 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया — यह एक अभूतपूर्व वैश्विक सहयोग था, मानवता के हित में।”
“योग सभी का है, सभी के लिए है”
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि “चाहे सिडनी ओपेरा हाउस हो या हिमालय की चोटियां, समुद्र की लहरें हों या रेगिस्तान की तपिश – हर स्थान से यही संदेश मिलता है कि योग सार्वभौमिक है। यह किसी जाति, पंथ या वर्ग से बंधा नहीं है। यह शांति, स्वास्थ्य और मानवता का सेतु बन चुका है।”
“10% तेल कम करने” का पुनः आग्रह
प्रधानमंत्री ने बढ़ते मोटापे को वैश्विक स्वास्थ्य संकट बताते हुए एक बार फिर अपने “10% तेल कम करें” अभियान को दोहराया। उन्होंने कहा, “मैंने ‘मन की बात’ में भी लोगों से अपील की थी कि अपने भोजन में तेल की मात्रा 10% तक कम करें। आज मैं एक बार फिर इस चुनौती से जुड़ने और स्वस्थ जीवन अपनाने का आग्रह करता हूं।”
विश्व ने माना भारत का योग-दर्शन
प्रधानमंत्री के इस योग-दिवस संबोधन ने एक बार फिर भारत की योग परंपरा को वैश्विक स्तर पर मजबूती से प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे योग को न केवल शारीरिक फिटनेस के रूप में अपनाएं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नयन का भी माध्यम बनाएं।
यह भव्य आयोजन भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक विरासत को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है — जिसमें योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवन-दृष्टि है।
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