उत्तरी नरगंजो के जंगलों में भीषण आग, वन विभाग की उदासीनता से हालात बेकाबू
सिटी संवाददाता : ब्रह्मदेव प्रसाद यादव
झाझा/जमुई : उत्तरी नरगंजो के जंगलों में लगी आग रुकने का नाम नहीं ले रही। मंगलवार दोपहर सिरसा पहाड़ के दक्षिणी छोर पर भीषण आग भड़क उठी, जिससे पूरा जंगल इसकी चपेट में आ गया। धधकते जंगल से उठती भयानक लपटों के कारण वन्यजीव और पक्षी घबराकर इधर-उधर भागते नजर आए। कई पक्षियों के घोंसले जल गए, जिससे उनकी चीख-पुकार से जंगल मातम में बदल गया।
प्राकृतिक संपदा को भारी नुकसान
- बहुमूल्य जड़ी-बूटियां और वनस्पतियां राख में तब्दील हो गईं।
- कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने से पर्यावरणीय संकट गहराया।
- वन्यजीवों का आवास नष्ट होने से उनका जीवन खतरे में।
वन विभाग की लापरवाही से बिगड़े हालात
ग्रामीणों द्वारा कई बार सूचना देने और समाचार पत्रों में खबरें छपने के बावजूद वन विभाग की निष्क्रियता से आग पर काबू नहीं पाया जा सका। हर साल जंगलों में लगने वाली आग से वन सौंदर्य नष्ट हो रहा है, जिसका सीधा असर जलवायु परिवर्तन पर पड़ रहा है।
जंगलों की आग के प्रमुख कारण
मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) की रिपोर्ट के अनुसार:
✔ मानवीय लापरवाही – सिगरेट फेंकना, जंगल साफ करना, महुआ संग्रहण के लिए आग लगाना।
✔ जलवायु परिवर्तन – बढ़ता तापमान और सूखा आग को भड़काने में सहायक।
✔ सूखी घास और पत्तियां – गर्मियों में आग तेजी से फैलाने का कारण।
आग रोकने के लिए आवश्यक उपाय
- सैटेलाइट और ड्रोन निगरानी से आग की त्वरित पहचान।
- फायरब्रेक तकनीक (आग रोधक पट्टियां) का उपयोग।
- स्थानीय ग्रामीणों और वन कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना।
- जन जागरूकता अभियान चलाकर आग लगाने की घटनाओं को रोकना।
अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो उत्तरी नरगंजो के जंगल और उसकी जैव विविधता सदा के लिए खत्म हो सकती है। यह सिर्फ वन विभाग नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस प्राकृतिक धरोहर को बचाएं।
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