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Thursday, March 27, 2025

29 मार्च को लगेगा आंशिक सूर्य ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा नजारा, सूर्य ग्रहण का ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

29 मार्च को लगेगा आंशिक सूर्य ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा नजारा, सूर्य ग्रहण का ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सूर्य ग्रहण का हमारे जीवन में ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गहरा महत्व है। इसे केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आस्था और ज्योतिष शास्त्र से भी जोड़ा जाता है।


ज्योतिषीय महत्व:

भारतीय ज्योतिष में ग्रहण का संबंध राहु और केतु से माना गया है। राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, जो सांप की भांति ग्रहों को डसते हैं। मान्यता है कि जब राहु और केतु सूर्य या चंद्रमा को ग्रसने की कोशिश करते हैं, तब ग्रहण लगता है।

  • सूर्य ग्रहण आत्मा, पिता, और सत्ता का प्रतीक माना जाता है।
  • ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के दौरान किए गए जप, तप और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है।
  • इस समय किसी भी मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ या शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है।

वैज्ञानिक महत्व:

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है।

  • इस स्थिति में चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है, जिससे सूर्य की रोशनी का एक हिस्सा पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता।
  • जब चंद्रमा पूर्ण रूप से सूर्य को ढक देता है, तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
  • आंशिक रूप से ढकने पर यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहलाता है।

साल का पहला सूर्य ग्रहण – 29 मार्च 2025:

  • तिथि: 29 मार्च 2025
  • समय:
    • प्रारंभ: 02:21 अपराह्न
    • समाप्त: 06:14 शाम
  • प्रकार: खंडग्रास (आंशिक) सूर्य ग्रहण
  • भारत में दृश्यता: यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

सूतक काल का महत्व:

सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है:

  • मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
  • भोजन और पानी का सेवन नहीं किया जाता।
  • मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।
  • ग्रहण के बाद स्नान और दान का विशेष महत्व है।

लेकिन चूंकि 29 मार्च 2025 का सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।


किन देशों में दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण?

29 मार्च 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण निम्नलिखित देशों और क्षेत्रों में देखा जा सकेगा:

  • यूरोप: बेल्जियम, फिनलैंड, इटली, फ्रांस, जर्मनी, हॉलेंड, नॉर्वे, पोलेंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्पेन, इंग्लैंड।
  • अफ्रीका: मोरक्को और अन्य उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र।
  • उत्तरी अमेरिका: पूर्वी क्षेत्र।
  • दक्षिण अमेरिका: उत्तरी ब्राजील, बारमूडा।
  • अन्य क्षेत्र: अटलांटिक और आर्कटिक महासागर, ग्रीनलैंड, यूक्रेन, बारबाडोस।

धार्मिक दृष्टिकोण:

  • हिंदू धर्म में ग्रहण के दौरान भगवान की पूजा नहीं की जाती, लेकिन गायत्री मंत्र, महा मृत्युंजय मंत्र और श्रीराम नाम जप करना शुभ माना जाता है।
  • ग्रहण के बाद स्नान, दान और गरीबों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यकारी होता है।

उपसंहार:

सूर्य ग्रहण न केवल खगोलीय घटना है बल्कि यह ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 29 मार्च 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भले ही भारत में दिखाई न दे, लेकिन जिन देशों में यह देखा जाएगा, वहां वैज्ञानिकों और खगोलविदों के लिए यह एक खास अध्ययन का अवसर होगा। वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसी घटनाएं ब्रह्मांड को समझने में मदद करती हैं, जबकि ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से यह आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है।

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