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Wednesday, January 1, 2025

सोनो में नव वर्ष 2025 का स्वागत: पिकनिक के बीच संस्कृति और धर्म का संदेश

सोनो में नव वर्ष 2025 का स्वागत: पिकनिक के बीच संस्कृति और धर्म का संदेश



सिटी संवाददाता : पंकज बरनवाल 


सोनो/जमुई :  सोनो में 2025 के अंग्रेजी नव वर्ष का स्वागत पारंपरिक तरीके से पिकनिक के साथ बड़े हर्षोल्लास में किया गया। लोग अपने गिले सिकवे को भुलाकर पुराने साल को विदाई दी और नए साल का स्वागत किया। इस मौके पर लोग विभिन्न पिकनिक स्पॉट्स, जैसे पंचपहड़ी, बरनार जलाशय परियोजना, चिरैन पुल, गोंती नदी, झांझी नदी, और बरनार नदी के किनारे पर इकट्ठा हुए और परिवारों एवं दोस्तों के साथ खुशी से पिकनिक मनाते हुए नए साल का स्वागत किया।

पिकनिक के दौरान मुर्गा, मछली, मांस, और हरी सब्जियों की दुकानों पर भी भारी भीड़ रही। यह दृश्य नए साल के जश्न का प्रतीक था, जहाँ लोग इस खास दिन का आनंद उठा रहे थे।


नव वर्ष और सनातन धर्म के बीच विचार:

सोनो में लोग नव वर्ष का स्वागत वसुंधरा कुटुंबकम की भावना के साथ कर रहे थे, जो यह दर्शाता है कि पृथ्वी पर सभी लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं। हालांकि, नव वर्ष के मौके पर अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से वर्ष की गणना करने की आदत भारतीय संस्कृति में स्वीकृत है, क्योंकि व्यवसायिक, बैंकिंग प्रणाली और विद्यालयों में अंग्रेजी कैलेंडर का पालन किया जाता है। फिर भी, जब सनातन धर्म, व्रत और त्योहारों की बात आती है, तो हम पंचांग के अनुसार समय की गणना करते हैं।


सनातन धर्म का महत्व:

इस संदर्भ में विचार व्यक्त करते हुए यह कहा गया कि हमे अपने सनातन धर्म को भुलाकर पश्चिमी उपभोगवादी संस्कृति को नहीं अपनाना चाहिए। एक जनवरी का दिन एक कृत्रिम तारीख है, जिसका ना तो हमारे धर्म से कोई संबंध है और ना ही यह प्राकृतिक रूप से हमारे जीवन चक्र से मेल खाता है। इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर का हिस्सा माना जाता है, जो औपनिवेशिक शासकों द्वारा हमारे ऊपर थोपा गया था। इस दिन को ठंड और शून्यता का प्रतीक माना गया, और यह दिन हमारे ऋतु चक्र और जीवन चक्र से पूरी तरह से कटे हुए पश्चिमी विचारधारा का प्रतीक है।

इस दिन को भारतीय संस्कृति के लिए एक चुनौती के रूप में देखा गया, क्योंकि यह हमारे पारंपरिक आस्थाओं और रीति-रिवाजों के खिलाफ था, जब अंग्रेजों ने हमारी जड़ों को उखाड़ने का प्रयास किया। इसीलिए, नव वर्ष के अवसर पर यह संदेश दिया गया कि हमे अपनी सनातन संस्कृति और भारतीयता को बनाए रखना चाहिए और इसके प्रति गर्व होना चाहिए।

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