बीपीएससी परीक्षा में धांधली और छात्रों पर प्रशासनिक बर्बरता: सरकार की नाकामी और छात्र संगठनों की भूमिका पर सवाल
चकाई/जमुई : बिहार में 13 दिसंबर को हुई बीपीएससी परीक्षा में धांधली और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर प्रशासनिक अत्याचार मामले में चकाई के पूर्व प्रत्याशी और जन सुराज पार्टी के नेता डॉ. धर्मेंद्र सिन्हा ने लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। उनके प्रश्न चिन्हों में पटना के एक जिलाधिकारी द्वारा एक छात्र को थप्पड़ मारने और फिर शांतिपूर्ण धरने पर बैठे बेरोजगार युवाओं पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज कर उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटने की घटना न केवल हृदय विदारक है, बल्कि सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करती है।
डॉ. धर्मेंद्र सिन्हा ने इस घटना को कड़ी निंदा करते हुए यह भी कहा कि "यह घटना बेहद कष्टकारी और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। सरकार और प्रशासन छात्रों की पीड़ा को समझने में पूरी तरह विफल रही है।"
सरकार और छात्र संगठनों पर सवाल:
डॉ. सिन्हा ने कहा कि जब छात्र शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को सरकार के सामने रखते हैं, तो उन पर हिंसा क्यों की जाती है? यह घटना सरकार की संवेदनहीनता के साथ-साथ उन छात्र संगठनों पर भी सवाल खड़ा करती है, जो खुद को छात्रों का प्रतिनिधि मानते हैं, लेकिन इस विषम परिस्थिति में चुप हैं।
जन सुराज पार्टी की मांग:
जन सुराज पार्टी ने बिहार सरकार से मांग की है कि बीपीएससी परीक्षा रद्द कर पुनः परीक्षा आयोजित की जाए, छात्रों के साथ न्याय करते हुए उनकी मांगों को प्राथमिकता दी जाए, पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई बर्बरता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष का ऐलान:
डॉ. धर्मेंद्र सिन्हा ने कहा कि यदि सरकार छात्रों की आवाज को नहीं सुनेगी, तो जन सुराज पार्टी पूरे बिहार में छात्रों का समर्थन करते हुए उनकी आवाज बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य और देश के नेतृत्वकर्ता भी छात्र जीवन से होकर गुजरते हैं, इसलिए छात्रों की समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है।
राज्य के विकास में छात्रों की भूमिका:
डॉ. सिन्हा ने कहा, "छात्र राज्य के विकास के सारथी, सहभागी और सहयोगी बन सकते हैं। सरकार को चाहिए कि वह उनकी पीड़ा को समझे और उन्हें अवसर प्रदान करे। अन्यथा, यह असंतोष राज्य को विकास की राह से पीछे धकेल देगा।" जन सुराज पार्टी छात्रों के अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्षरत रहेगी।
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