गंगा बेसिन समस्या और समाधान: तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का भव्य शुभारंभ
मुजफ्फरपुर : "गंगा बेसिन समस्या और समाधान" विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का शुभारंभ गुरुवार को चंद्रशेखर भवन, मिठनपुरा, मुजफ्फरपुर में हुआ। इस महत्वपूर्ण विमर्श का उद्घाटन विभिन्न राज्यों से आईं महिला प्रतिनिधियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
मुख्य बिंदु और उद्घाटन सत्र '
विमर्श का संचालन भागलपुर के उदय ने किया। स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद अली अनवर ने गंगा की सांस्कृतिक और सामाजिक महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा,
"गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।"
गंगा मुक्ति आंदोलन के संस्थापक अनिल प्रकाश ने गंगा की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,
"गंगा का हत्यारा आधुनिक विकास की नीति है। जब तक नीति में बदलाव नहीं होगा, गंगा को बचाना मुश्किल है।"
प्रमुख वक्ताओं और उनके विचार :
दिल्ली से आए पत्रकार प्रसून लतान ने गंगा की समस्याओं को गहराई से समझाते हुए प्रदूषण, गाद, जहरीली खेती और जल संकट जैसे मुद्दों को उठाया।
झारखंड से आए पर्यावरणविद घनश्याम जी ने फरक्का बैराज और दामोदर परियोजना के दुष्प्रभावों को रेखांकित करते हुए गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार की आवश्यकता पर बल दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता संगीता सुभाषिनी ने अपनी कविता के माध्यम से मानव गतिविधियों और पर्यावरणीय संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और साहित्यिक सत्र :
विमर्श के पहले दिन साहित्य और संस्कृति का भी आयोजन हुआ।
काव्य गोष्ठी में बेतिया के राजीव कुमार ने अपनी कविता "नदियां नीत तुम बहा करो..." सुनाई।
लोक गायिका अनीता कुमारी और अन्य कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से गंगा संरक्षण का संदेश दिया।
उपस्थित प्रमुख लोग :
इस विमर्श में पूर्व सांसद अली अनवर, गंगा मुक्ति आंदोलन के संस्थापक अनिल प्रकाश, बागमती संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद, पत्रकार, साहित्यकार, और विभिन्न संगठनों के सदस्य मौजूद थे।
आगे की योजना :
विमर्श के आगामी दिनों में गंगा संरक्षण के लिए ठोस नीतियों, जागरूकता, और सामुदायिक भागीदारी पर चर्चा होगी। गंगा की सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने और जल प्रदूषण को रोकने के उपायों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
विमर्श का उद्देश्य :
इस राष्ट्रीय विमर्श का मुख्य उद्देश्य गंगा और उसकी सहायक नदियों की समस्याओं का समाधान खोजना और स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक जनजागरूकता बढ़ाना है। गंगा को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए इस मंच का उपयोग किया जा रहा है।
धन्यवाद ज्ञापन :
कार्यक्रम का समापन नरेश कुमार सहनी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ.।
यह विमर्श गंगा की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और अविरल गंगा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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