**झुमराज बाबा : आस्था और चमत्कार का अनोखा केंद्र** - City Channel

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Saturday, November 2, 2024

**झुमराज बाबा : आस्था और चमत्कार का अनोखा केंद्र**

**झुमराज बाबा : आस्था और चमत्कार का अनोखा केंद्र**


आलेख : प्रो० रामजीवन साहू 


जमुई, बिहार : झुमराज बाबा का मंदिर, जो कि बिहार के जमुई जिले के सोनो प्रखंड के बटिया जंगल में स्थित है, आस्था और श्रद्धा का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ हर साल सैकड़ों भक्त अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं और बाबा के प्रति अपनी भक्ति का प्रदर्शन करते हैं। इस मंदिर की स्थापना एक शिव भक्त झुमराज पांडेय के बलिदान की कहानी से जुड़ी हुई है।


झुमराज पांडेय: शिवभक्त से बने बाबा झुमराज

विक्रम संवत 1857 में, प्रयागराज के एक शिव भक्त झुमराज पांडेय अपने काँवर में गंगा जल लेकर देवघर स्थित बैजनाथ धाम जा रहे थे। यात्रा के दौरान, उन्होंने विश्राम के लिए एक स्थान चुना, जो आज झुमराज बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। विश्राम के दौरान एक शेर ने उन पर हमला किया और उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, उस स्थान पर एक आकाशवाणी हुई, जिसमें ग्रामवासियों से कहा गया कि वहां झुमराज पांडेय की मिट्टी की पिंडी बनाकर उनकी पूजा-अर्चना शुरू करें। आकाशवाणी के अनुसार, वहाँ पूजा करने वाले भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं।


झुमराज बाबा की पूजा और बलि की परंपरा :

झुमराज बाबा शाकाहारी थे, लेकिन उस क्षेत्र में दूत-भूत की खुशी के लिए बकरे की बलि देने की परंपरा शुरू हो गई। कार्तिक माह में बलि निषेध है, लेकिन बाकी के ग्यारह महीनों में बलि दी जाती है। हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को यहाँ पूजा होती है, जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि बाबा का आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है।


महिलाओं के लिए विशेष नियम और प्रसाद :

मंदिर में एक विशेष मान्यता है कि यहाँ का प्रसाद महिलाओं के लिए निषिद्ध है। भक्तजन यहाँ बने चूल्हों पर प्रसाद बनाकर वहीं खाते हैं। एक महिला भक्त वीणा देवी के अनुसार, जो भी यहाँ सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी इच्छा अवश्य पूरी होती है।


झुमराज बाबा और गिद्धौर के महाराजा की बलि परंपरा :

मंदिर की एक प्राचीन कथा के अनुसार, इस स्थान पर गिद्धौर के महाराजा और चकाई के राजा के बीच एक बार युद्ध हुआ था। इस युद्ध में गिद्धौर के महाराजा विजयी हुए और इस जीत की खुशी में उन्होंने झुमराज बाबा को चौदह बकरों की बलि दी। तब से यह परंपरा चलती आ रही है, और हर साल बाबा के मंदिर में चौदह बकरों की पूर्ण बलि दी जाती है।


सरकार से सुविधाओं की कमी पर असंतोष

मंदिर में पूजा करने के लिए भक्तों को रसीद कटानी पड़ती है, जिसका एक हिस्सा धार्मिक न्यास परिषद, पटना को भेजा जाता है। हालांकि, भक्तों का कहना है कि यहाँ सुविधाओं का घोर अभाव है, विशेषकर महिलाओं के लिए। पूर्व सांसद चिराग पासवान द्वारा इस क्षेत्र को गोद लिया गया था, लेकिन मंदिर और इसके आसपास बुनियादी सुविधाओं की कमी अभी भी बनी हुई है। बल्कि यूँ कहें कि पाले-पोसे नहीं, सिर्फ इसे अनाथ बनाकर रख दिया, फिर भी झुमराज बाबा अपनी कृपा दृष्टि उन पर बनाये रखा। जिसके कारण आज वे भारत सरकार के मंत्री हैं और उनके बहनोई अरुण भारती उसी क्षेत्र के सांसद हैं।

बताते चलें कि झुमराज बाबा का यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भक्तों के लिए एक चमत्कारिक स्थल भी है। यहाँ की प्राकृतिक छटा और भक्तों की भीड़ इसे एक अद्भुत धार्मिक स्थल बनाते हैं, जो भक्तों के दिलों में विशेष स्थान रखता है।

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