**अपराह्न 5:26 बजे किउल नदी में सैकड़ों भक्तों ने सूर्य को अर्घदान दिया : लोक आस्था का अद्वितीय पर्व छठ** - City Channel

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Thursday, November 7, 2024

**अपराह्न 5:26 बजे किउल नदी में सैकड़ों भक्तों ने सूर्य को अर्घदान दिया : लोक आस्था का अद्वितीय पर्व छठ**

**अपराह्न 5:26 बजे किउल नदी में सैकड़ों भक्तों ने सूर्य को अर्घदान दिया : लोक आस्था का अद्वितीय पर्व छठ**


सिटी संवाददाता : प्रो. रामजीवन साहु


जमुई : छठ महापर्व, जो भारतीय लोक आस्था का प्रतीक है, का आज संध्या के समय किउल नदी के त्रिपुरारी सिंह घाट पर भव्य अर्घदान समारोह संपन्न हुआ। अपराह्न ५:२६ बजे हजारों श्रद्धालुओं ने सूर्य भगवान को अर्घदान अर्पित कर अपनी श्रद्धा और विश्वास का प्रदर्शन किया। यह दृश्य अपने आप में प्रमाण है कि सूर्य देवता को लेकर लोगों में आज भी वही आस्था विद्यमान है जो प्राचीन काल से चली आ रही है।


भक्तों की आस्था का प्रतीक :

छठ पर्व में आस्था रखने वाले भक्तों की मान्यता है कि सूर्य देवता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और स्वास्थ्य की प्राप्ति का वरदान देते हैं। इस आस्था का प्रतीक हैं जमुई नगर परिषद् अंतर्गत जयशंकर नगर की निवासी वीणा देवी, जो साल भर अस्वस्थ रहती हैं लेकिन छठ पर्व के समय अपने को पूरी तरह स्वस्थ पाती हैं। छठ मैया में उनकी यह गहरी श्रद्धा और विश्वास उन्हें इस पर्व को पूर्ण निष्ठा से मनाने की प्रेरणा देता है।


छठ पर्व का स्वास्थ्य और आध्यात्मिक महत्व :

छठ मैया के प्रति श्रद्धा और नियमों के पालन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो व्रती पूरी निष्ठा और नियमों का पालन करते हैं, उन्हें शारीरिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने भी कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए छठ पर्व का अनुष्ठान किया था, और यह पर्व उनके रोगों का निवारण करने में सहायक सिद्ध हुआ था।


किउल नदी का भक्तिमय दृश्य :

किउल नदी के त्रिपुरारी सिंह घाट पर उमड़े भक्तों का जनसैलाब एक अद्वितीय दृश्य था। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों का यह विशाल समूह अपनी भक्ति से घाट को जीवंत बना रहा था। सूर्यास्त के समय अर्घदान के साथ सभी भक्तों के चेहरे पर श्रद्धा की अद्भुत चमक देखी जा सकती थी।

छठ पर्व का यह उत्सव हर साल की तरह इस बार भी लोगों के बीच भक्ति, आस्था और सामुदायिक जुड़ाव की भावना को मजबूत करता है, जो भारतीय संस्कृति में सूर्य की उपासना का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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