भाकपा माले की टीम ने देखी बिजली की जर्जर व्यवस्था, 24 घंटे विद्युत आपूर्ति न होने पर दिया आंदोलन का अल्टीमेटम
🔹बेकार उपकरण और जर्जर तार से हो रही परेशानी : भाकपा माले
सिटी ब्यूरो रिपोर्ट : आनन्द कुमार/अजय कुमार सिन्हा
समस्तीपुर : समस्तीपुर में बेकार हो चुके विद्युत उपकरण, तार, एमसीबी पैनल बॉक्स, ट्रांसफार्मर का बुश जुगाड़ के जरिए काम चलाऊ रखने की वजह से बिजली संकट की स्थिति में है। समस्या पर विभागीय अधिकारी, कर्मी और मिस्त्री भी दबे जुबान से खराब उपकरण और बेकार तार की वजह से बिजली के खस्ताहाल स्वीकार करते हैं, लेकिन वे विभागीय गड़बड़ी के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पाते।
उक्त बातें शुक्रवार को विधुत सुधार संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक सह भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कही। शहर के करीब 24 ट्रांसफार्मर का भाकपा माले के जांच टीम के सदस्य सुनील कुमार सिंह, मो. सगीर ने निरीक्षण किया। जिसके बाद सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
वहीं उक्त मामले को लेकर भाकपा माले नेताओं ने अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाने, तमाम जर्जर विद्युत उपकरण और तार बदलकर 24 घंटे विद्युत आपूर्ति करने की मांग की है। अन्यथा चरणबद्ध आंदोलन चलाने की घोषणा की है।
जुगाड़ से चलाया जाता है काम :
मौके पर श्री सुरेंद्र ने कहा कि समस्तीपुर सहित पूरे बिहार की ही बिजली व्यवस्था बेकार है। उपकरण के आभाव में जुगाड़ से काम चलाने के कारण जगह-जगह ट्रांसफार्मर पर स्पार्क होना, धुंआ निकलना, तार टूटना, फेज का गलना जैसे बातों को देखा जा सकता है।
वहीं शहर स्थित ट्रांसफार्मर का एवी स्वीच, ब्रेकर, एमसीबी, हैंडल, बुश, बुश रॉड आदि समेत 90 प्रतिशत तार जर्जर हो चुके हैं। कवर्ड वायर लगाया जा रहा है, वह पहले से भी कमजोर है जो अधिक लोड सहन नहीं कर पाता है। थोड़ी-सी आंधी आ जाए या हल्की बारिश शुरू हो जाए तो ये बिजली के तार करंट सप्लाई करने के लायक नहीं रहते हैं। विभाग को मजबूरन बिजली काटना पड़ता है।
स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर विभाग द्वारा किया जा रहा शोषण :
श्री सुरेन्द्र ने कहा कि बिहार और केंद्र की सरकार को इस समस्या से कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो सिर्फ बिल चाहिए। बिल ना देने पर लाखों रुपए का जुर्माना ठोक दिया जाएगा और इसकी कहीं भी सुनवाई नहीं होती है। इस प्रकार की बातें तो चल ही रही थी कि अब स्मार्ट मीटर लगाकर गरीब जनता का और ज़्यादा शोषण करने का जुगाड़ लगाया जा रहा है। ये सब डबल इंजन की सरकार की नीतियों की वजह से हो रहा है।
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