बाल श्रम निषेध दिवस पर तटवासी समाज न्यास ने जताया विश्वास – जल्द साकार होगा बाल श्रम मुक्त जमुई का सपना - City Channel

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Thursday, June 12, 2025

बाल श्रम निषेध दिवस पर तटवासी समाज न्यास ने जताया विश्वास – जल्द साकार होगा बाल श्रम मुक्त जमुई का सपना

बाल श्रम निषेध दिवस पर तटवासी समाज न्यास ने जताया विश्वास – जल्द साकार होगा बाल श्रम मुक्त जमुई का सपना

🔹तटवासी समाज न्यास ने साल भर में बाल मजदूरी से मुक्त कराए 11 बच्चे।

सिटी संवाद : रजनीश कुमार सिंह

सिकन्दरा : विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर जिले में बाल अधिकारों के लिए कार्यरत संगठन तटवासी समाज न्यास ने कहा है कि जिला प्रशासन और नागरिक समाज की सजगता और समन्वय से यह विश्वास पनपता है कि जल्द ही बाल श्रम मुक्त जमुई का सपना साकार हो सकेगा।

संगठन ने बताया कि बीते एक वर्ष में जिला प्रशासन के सहयोग से 9 छापामार अभियानों के जरिए 11 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है। वहीं जून 2025 में की गई ताजा छापेमारी में एक और बच्चे को बाल श्रम से आज़ादी दिलाई गई। तटवासी समाज न्यास ने श्रम विभाग द्वारा आयोजित जागरूकता अभियान में भी भाग लिया, जहां बाल श्रम उन्मूलन से जुड़ी नीतियों और प्रयासों पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर जिले भर में कई जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिनमें बाल श्रम के खिलाफ संकल्प लिया गया। साथ ही राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन की शुरुआत, इसके लिए पर्याप्त संसाधन आवंटन और जिला स्तर पर चाइल्ड लेबर टास्क फोर्स के गठन की मांग भी उठाई गई।

तटवासी समाज न्यास, देश के नागरिक संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) का सहयोगी संगठन है। JRC देश के 418 जिलों में बाल श्रम, बाल विवाह, यौन शोषण और बाल तस्करी के खिलाफ अभियान चला रहा है। संगठन ने अपने कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच’ के तहत बीते दो वर्षों में 85,000 से अधिक बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है और 54,000 से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की है।

तटवासी समाज न्यास के निदेशक कन्हैया कुमार सिंह ने बताया कि, “बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में भारत का प्रदर्शन अन्य देशों की तुलना में बेहतर रहा है। इसका श्रेय राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की प्रतिबद्धता को जाता है। अब तक हमने जिले में कुल 28 बच्चों को मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास को भी प्राथमिकता दी जा रही है।”

उन्होंने कहा कि पीड़ित बच्चों के पुनर्वास और अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई के ज़रिए ही बाल श्रम पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है और भारत इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

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