एक तरफ बिरानी एक तरफ जश्न, क्या है लाइफ केयर वृद्वा आश्रम की असली कहानी, लगाया आदिवासियों ने ठगी का आरोप - City Channel

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Sunday, January 5, 2025

एक तरफ बिरानी एक तरफ जश्न, क्या है लाइफ केयर वृद्वा आश्रम की असली कहानी, लगाया आदिवासियों ने ठगी का आरोप

एक तरफ बिरानी एक तरफ जश्न, क्या है लाइफ केयर वृद्वा आश्रम की असली कहानी, लगाया आदिवासियों ने ठगी का आरोप



सिटी संवाददाता झाझा से ब्रह्मदेव प्रसाद यादव की रिपोर्ट 


झाझा/जमुई : जमुई जिले के सोनो प्रखंड के सिद्वेश्वरी आदिवासी वनवासी गांव में लाइफ केयर वृद्धा आश्रम की स्थापना एक साल पहले 5 जनवरी 2024 को की गई थी। इसे समाजसेवी डॉक्टर साहिन प्रवाज द्वारा आदिवासियों और बुजुर्गों के लिए शुरू किया गया था। इस पहल से आदिवासी समुदाय में उम्मीद की किरण जागी थी। लेकिन इस आश्रम से जुड़े विवाद अब उजागर हो रहे हैं, जिसमें आदिवासियों से ठगी और शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं।


आदिवासियों के साथ ठगी के आरोप:

1. कर्मचारियों का शोषण: आश्रम में काम करने वाले 9 कर्मचारियों को 8 महीने काम करवाने के बाद केवल 1 महीने का वेतन (3000 रुपये प्रति माह) दिया गया।

2. चापाकल का झांसा: चापाकल लगवाने के नाम पर प्रत्येक कर्मचारी से 2000 रुपये वसूले गए, लेकिन चापाकल लगवाया ही नहीं गया।

3. शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी: बच्चों को पढ़ाने के नाम पर 2000 रुपये लिए गए, लेकिन उनका नामांकन तक नहीं कराया गया।

4. कुल ठगी का आंकड़ा: डॉक्टर प्रवाज पर लगभग 3 लाख रुपये ठगने और धमकाने का आरोप है।


नए आश्रम का उद्घाटन:

पुराने विवादित सिद्वेश्वरी आश्रम को छोड़कर अब झाझा के चरघरा नगर परिषद में लाइफ केयर वृद्धा आश्रम को नए सिरे से शुरू किया गया है। 5 जनवरी 2025 को इसका एक वर्ष पूरा होने पर जश्न मनाया जा रहा है।


मातम बनाम जश्न:

जहां एक ओर आदिवासी समुदाय अपने हक, वेतन और न्याय की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर झाझा में आश्रम के नए वर्षगांठ का जश्न मनाया जा रहा है।


समाजसेवी गौरव सिंह राठौर की प्रतिक्रिया:

समाजसेवी गौरव सिंह राठौर ने आदिवासियों के साथ ठगी की घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच कराने और आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग की है।


प्रशासन से उम्मीद:

इस मामले में स्थानीय प्रशासन और समाजसेवियों से न्याय की अपील की जा रही है। आदिवासियों का कहना है कि उन्हें उनका हक दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

यह कहानी आदिवासियों के शोषण और उनके अधिकारों के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। प्रशासन और समाज को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

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