**गया के विष्णुपद मंदिर में रूसी श्रद्धालुओं ने पूर्वजों को किया तर्पण, विदेशी भक्तों की उमड़ी भीड़** - City Channel

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Sunday, November 3, 2024

**गया के विष्णुपद मंदिर में रूसी श्रद्धालुओं ने पूर्वजों को किया तर्पण, विदेशी भक्तों की उमड़ी भीड़**

**गया के विष्णुपद मंदिर में रूसी श्रद्धालुओं ने पूर्वजों को किया तर्पण, विदेशी भक्तों की उमड़ी भीड़**


सिटी संवाददाता : ब्रह्मदेव प्रसाद यादव


गया : रविवार को बिहार की पवित्र नगरी गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में विदेशी श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक मेला देखने को मिला। विशेष रूप से रूस से आए श्रद्धालुओं ने भारतीय परंपराओं का पालन करते हुए अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और तर्पण का अनुष्ठान किया। सुबह से ही मंदिर प्रांगण में विदेशी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी, जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गहरी श्रद्धा के साथ यह धार्मिक क्रिया कर रहे थे।


विदेशी भक्तों का पिंडदान और तर्पण में समर्पण :

गया में पिंडदान और तर्पण का महत्व सदियों पुरानी परंपरा है, जो माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाती है। इस अनुष्ठान का नेतृत्व कर रहे पंडा विजय विट्ठल ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु विभिन्न देशों से आए थे, जिसमें रूस से श्रद्धालुओं की संख्या सबसे अधिक थी। पिंडदान और तर्पण के लिए श्रद्धालु विष्णुपद मंदिर के साथ अक्षयवट और फल्गु नदी में अनुष्ठान करेंगे।


भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के प्रति विदेशी श्रद्धा :

विदेशी भक्तों ने भारतीय परंपराओं का पालन करते हुए अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान कर भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के प्रति अपनी आस्था को प्रकट किया। उनके अनुसार, यहां पिंडदान करने से उन्हें अपने पूर्वजों के प्रति आत्मीयता और शांति की भावना महसूस होती है। अनुष्ठान समाप्ति के बाद विदेशी श्रद्धालु वाराणसी की ओर लौटने का कार्यक्रम रखे हुए हैं।


भारत के धार्मिक रीति-रिवाजों की वैश्विक मान्यता :

गया में पिंडदान करने की यह प्राचीन परंपरा अब वैश्विक रूप ले चुकी है, जिसमें विदेशी श्रद्धालु भी पूरे आदर और श्रद्धा के साथ शामिल हो रहे हैं। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि यह आध्यात्मिकता के साथ-साथ अपने संस्कारों में सभी को अपनाने की भावना रखती है, जिसे देखकर विदेशी भक्त भी अपनी जड़ों से जुड़ने का अनुभव कर रहे हैं।


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